...

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एक कहानी- ग़ज़ल
सुनो मेरी ज़ुबानी इक कहानी
ग़मों का सैल बरसा आसमानी

गुज़रती उम्र की देखो रवानी
नहीं ठहरी किसी की भी जवानी

अभी दिन मौज के हैं मौज करलो
नहीं...