...

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हमे पता ना था
वो मोहब्बत था या एक तमाशा केवल
हमे पता ना था
गिर पड़ेंगे इतने दिनों बाद मुंह के बल
हमे पता ना था

समझते थे बहुत जुदा है औरों से चाहत अपनी
गिरेबान में उसके भी भरा है कल छल
हमे पता ना था

कौन ठहराए उस नापाक को मुजरिम
सब वाकिफ थे सब मुद्दसिर थे
कसूर मेरा ही होगा पर
हमे पता ना था

चलो एक जिंदगी में कई तजुर्बे मिले
ज़हर बुझे अपनो के मंसूबे मिले
जिंदा रहते ही उनके लिए जाऊंगा मर
हमे पता ना था


यूं तो पता था बडी रंजिश है मेरी जमाने से
घर की दीवार लटका मिलेगा सर
हमे पता ना था

© वियोगी (the writer)