...

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ख्याल
वक्त बेवक्त ये तेरे ख्याल मुझे सोने ही नहीं देते।
ये जो होंठों पर ठहरे हैं लफ्ज़ मेरे ,
कि तेरा होने ही नहीं देते।
ख्वाहिश है कि लिखुं नज़्में हजारों तुझ पे,
ये तेरी खामोशियां है ,कि तेरा होने ही नहीं देती।

-सुभाष रणवां