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तैयार
ढलती रही शाम
बहेती रही रात
फिर एक नई सुबह हुई
धडी टीक टीक करती रही
समय बीतता गीया
तकिया भीगता गया
आँसु किसी ने नहीं देखे
चहेरा हसता गया
सब आये,सब चले भी गये
एक तुम्हारा मौसम
जो पलभर आया
चला भी गया
में वही बैठा रहा
तुम्हें निहारता हुआ
पर,पुकारा नहीं
नहीं पुकारुगा
उसके फैसले का
मूजे भी इंतजार है
मन अब तैयार है।।
सौम्यसृष्टि
© Somyashrusti
बहेती रही रात
फिर एक नई सुबह हुई
धडी टीक टीक करती रही
समय बीतता गीया
तकिया भीगता गया
आँसु किसी ने नहीं देखे
चहेरा हसता गया
सब आये,सब चले भी गये
एक तुम्हारा मौसम
जो पलभर आया
चला भी गया
में वही बैठा रहा
तुम्हें निहारता हुआ
पर,पुकारा नहीं
नहीं पुकारुगा
उसके फैसले का
मूजे भी इंतजार है
मन अब तैयार है।।
सौम्यसृष्टि
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