मुझ में तुम
शब की खामोशी में तुम,
सहर की सरगोशी में तुम।
ख्वाबो और ख्वाइशो में तुम,
हकीकत और हसरतो में तुम।
पुराने गीतो का अर्थ भी तुम,
नई शायरी की शिद्दत भी तुम।
भुली-बिसरी यादों में तुम,
खट्टी-मीठी बातों में तुम।
आइने के मेरे अक्स में भी तुम,
सडको के मेरे साये में भी तुम।
मेरी हर नज्म के हिस्सें में तुम,
मेरी हर कहानी के किस्सें में तुम।
मेरी जिंदगी के सफर का मक़ाम तुम,
मुझसे भी ज्यादा अब तो हो मुझ में तुम।
बस तुम..सिर्फ तुम।
तुम, तुम और तुम।
#love
© dil_e_akanksha
सहर की सरगोशी में तुम।
ख्वाबो और ख्वाइशो में तुम,
हकीकत और हसरतो में तुम।
पुराने गीतो का अर्थ भी तुम,
नई शायरी की शिद्दत भी तुम।
भुली-बिसरी यादों में तुम,
खट्टी-मीठी बातों में तुम।
आइने के मेरे अक्स में भी तुम,
सडको के मेरे साये में भी तुम।
मेरी हर नज्म के हिस्सें में तुम,
मेरी हर कहानी के किस्सें में तुम।
मेरी जिंदगी के सफर का मक़ाम तुम,
मुझसे भी ज्यादा अब तो हो मुझ में तुम।
बस तुम..सिर्फ तुम।
तुम, तुम और तुम।
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