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" तुम "..... By-The Sagar Raj Gupta {श्रृंगार रस कवि}.
मैं जिसे रोज सुबहों शाम वो किताब हो तुम,
जिसे देखने मात्र से ही पूरे शरीर में नशा चढ़ जाए वो शराब हो तुम,
जो मेरे हर कार्य के सफलता पर मिले वो ख़िताब हो तुम,
मेरा हर प्रश्न तुमसे ही जुड़ा और उन सबका जबाब हो तुम।

मेरी दुनिया हो तुम, मेरी काम हो तुम,
मेरा हर चीज तुमसे जुड़ा मेरी नाम हो तुम,
तुम ही मेरी सुबह और शाम भी हो तुम,
तुम ही मेरी भजन और जाम हो तुम।

तुम ही मेरी धड़कन और मेरी साँस हो तुम,
मेरे लहू के क़तरा-क़तरा और मेरी आस हो तुम,
मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी और मिठास हो तुम,
मेरे साथ अभी है ही नही कोई , मेरे लिए खास हो तुम।

मेरी यादों में तुम और मेरे सपनो में तुम,
मेरे नींदों में तुम ,मेरे अपनो में तुम,
मेरे ख्यालो में तुम ,मेरे जज्बातों में तुम,
मेरी पूजा में तुम और मेरे इबादत में तुम।

मेरे होली का रंग हो तुम,
और मेरे साये का संग हो तुम,
मैं जो जीऊँ इस दुनिया में वो ढंग हो तुम,
तुम ही मेरी मोहब्बत और मेरी जंग हो तुम।

तुम ही मेरी श्रृंगार और कहानी हो तुम,
तुम ही मेरी खयाल और जवानी हो तुम,
तुम ही सागर की लहर और रवानी हो तुम,
और मेरे आशिक़ी की अमिट निशानी हो तुम।


तुम ही मेरी नज़्म और मेरी शायरी हो तुम,
मेरी मीरा ,मेरी सती और मेरी राधिका हो तुम,
तुम मेरी बल और मेरी कायरता हो तुम,
और उस भगवान की अनमोल रचना हो तुम।

इस तरह कुल मिलाकर देखा जाए तो तुम ही हो...केवल तुम ही हो और बस तुम ही हो...

By- The Sagar Raj Gupta (singer, lyricist, script writer ,poet,shayar,teacher,logo designer and director and producer of youtube video and short movie ,M.D And Owner of The Sagar's World )

मैने आज तक कभी इश्क़ नही की लेकिन अपनी कल्पना के माध्यम से मैने इस कविता को अपने मेहबूब के लिए लिखा है । आशा करता हूँ की आपको ये कविता अच्छी लगी होगी । आपको ये कविता कैसी लगी ये कमेंट करके जरूर बतावें ।

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© अधूरे अल्फ़ाज़ों के शहंशाह - सागर राज गुप्ता