...

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उठ मानव ! मौन को तोडते हैं ।
उठ मानव ! आज मौन को तोडते है,
कुछ दूर जिंदगी के साथ दौडते हैं,
राहे तेरे ख्वाब की बस चंद कदम पर हैं,
चल फिर एक बार गमो की राहो को खुशी की तरफ मोडते हैं,
क्यों उदासी से घिरा है तू? उठ ,बढ , आज फिर बिखरी जिंदगी जोडते हैं,
है यहाँ डगर कंकड पथ सी, गम यहीं कहीं पर छोडते हैं ।।

💕😊💕
© guru_r