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Beti : Zindgani ek beti ki
Zindgani ek beti ki
जिंदगानी एक बेटी की


ऐसी होती हैं एक बेटी की जिंदगानी,

जो सब कुछ छोड़ पति के घर चली जाती हैं,

होते है उसके भाई - बहन सब को पीछे छोड़ आती हैं,

किसी अनजाने के साथ जीने - मरने की कसमें खा लेती है,

सखी - सहेलियाँ सब उसके जीवन से दूर हो जाती हैं,

पति को ही वह सब - कुछ बना लेती हैं,

ना चाहते हुए भी जो उसने कभी सोचा ना हो वह सब करती है।


ऐसी होती है एक बेटी की जिंदगानी।।


चुप रहके ना जाने क्या-क्या सह लेती है,

ना कहकर भी आंखों से सब कुछ कह देती है,

सारी रस्में सारी कसमें जिंदगी भर निभाती रहती है,

चाहते हुए भी वह अपनी दिल की चाहत ना कह पाती है,

जो एक अनजाने के लिए अपने सपने तक छोड़ जाती है,

पसंद जो ना हो वह भी अपनी पसंद बना लेती हैं।


ऐसी होती है एक बेटी की जिंदगानी।।


अनजाने घर को अपना घर बना लेती है,

पढ़ाई - लिखाई को छोड़ चूल्हे - चौके को अपना लेती हैं,

घर के हर कामों में हमेशा आंगे वो रहती हैं,

छोटी से छोटी जरूरत को वो समय पर पूरा करती हैं,

सजाती - सवारती हैं घर - आँगन अपना,

दूसरों के लिए जीती रहती है।


ऐसी होती है एक बेटी की जिंदगानी।।


दर्द होता है जब किसी से ना कह पाती है,

जरूरत होती है जब उसको किसी के साथ की,

लेकिन अपने आप को वह अकेले ही संभाल लेती है,

रुकती नहीं कभी किसी मोड़ पर वह,

हर राह पर वह चलती ही जाती है,

फिर भी हंसती है।


ऐसी होती है एक बेटी की जिंदगानी।।



✍️ अनुभा पुरोहित
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