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क़िस्मत
तेरी यादों के सहारे हम कहां खो गए
तेरा होना तो नहीं था पर तेरे हो गए
तेरा-मेरा रिश्ता जैसे....
क़िस्मत का लेखा-जोखा था
लम्हे सारे वो सच थे...
या बस नज़रों का धोखा़ था
क्या पुराने ख़त मेरे अब भी पास हैं तेरे
क्या वो बचपन के अल्फाज़ अब भी खास हैं तेरे
उस नादाॅं सी मुस्कुराहट पर...
मैं अपना सब कुछ हारा था
खो कर तुझमें पाया ख़ुद को...
तू ही मेरा जग सारा था
तुझ से जुदाई पा कर आंखें नम हो गईं
वो लम्बी बातें धीरे-धीरे कम हो गईं
वो सारी कसमें वादे...
पल भर में ही टूट गए
संग चलने के इरादे
मंज़िल से पहले छूट गए
कितना है समझाया खुद को कि ये प्यार नहीं
इन किस्से और कहानियों का कोई सार नहीं
© random_kahaniyaan
तेरा होना तो नहीं था पर तेरे हो गए
तेरा-मेरा रिश्ता जैसे....
क़िस्मत का लेखा-जोखा था
लम्हे सारे वो सच थे...
या बस नज़रों का धोखा़ था
क्या पुराने ख़त मेरे अब भी पास हैं तेरे
क्या वो बचपन के अल्फाज़ अब भी खास हैं तेरे
उस नादाॅं सी मुस्कुराहट पर...
मैं अपना सब कुछ हारा था
खो कर तुझमें पाया ख़ुद को...
तू ही मेरा जग सारा था
तुझ से जुदाई पा कर आंखें नम हो गईं
वो लम्बी बातें धीरे-धीरे कम हो गईं
वो सारी कसमें वादे...
पल भर में ही टूट गए
संग चलने के इरादे
मंज़िल से पहले छूट गए
कितना है समझाया खुद को कि ये प्यार नहीं
इन किस्से और कहानियों का कोई सार नहीं
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