...

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क्यूँ आती है शाम.
क्यूँ आया करती है रोज ये गम की शाम
दूर करके हमको क्यूँ करती है परेशान!

पिया मेरे परदेस में क्यूँ इतने है दूर
हो गए एक दूसरे के लिये मजबूर!

दिन भर हम हँसते बतियाते
रात में फिर रोज आँसू बहाते¡

कोई तो वो शाम भी आये
जो करीब उनको मेरे लाये¡

उस शाम का बस इंतजार है
जब कहूँ उनसे तुमसे प्यार है!

बस आजाये अब शाम सिंदूरी
मिट जाये हर एक फिर दूरी!!
© Rashmi Garg