...

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जीवन का अधार
न देख कभी मुड़कर पीछे,
जीवन पथ का ये अधार नही।
तू क्यों चाहता है उसे ,
जिसपे तेरा अधिकार नही।
जा तू बेशक अपनी मंजिल,
जो किस्मत है मिल जाएगा।
जो नही है तेरा,
वो हाथों से भी निकल जाएगा।
क्यूं भागता महलो क पीछे,
कुटी में भी आनन्द आएगा।
बस बोल प्रेम की भाषा,
जीवन खुशियों से खिल जाएगा।
मत भाग तू उसके पीछे ,
जिसपे तुझको विशवास नही।
जा तू थाम उसका दामन,
जिस को तुझपे है आश कंही।
एकबार खुदको दुखी करके,
औरो को खुशियां दे जाएगा,
तो फिर देख तेरी खुशियां,
खुद ब खुद दुगना हो जाएगा।
© Savitri..