...

8 views

अर्धांगिनी: महादेव की प्रियतमा
प्रियतमा, वह महादेव की
रगिनी मे खो गई।
स्वयं मां शक्ति का वह रूप है,
माता सती का वह पुनर्जन्म।

सम्पूर्ण होने महादेव के लिए
सब त्यागने वह तैयार थी।
पाने को प्रेम महादेव का,
प्रण तप का वह ले चुकी।

अर्धांगिनी वह महादेव की,
जगत माता वह तो अन्नपूर्णा है।
शक्ति का वह स्रोत है,
करने को विनाश पाप का

काली का रूप धारण किया।
रक्तबीज का संहार कर,
माता पार्वती ने पाप
का विनाश किया ।

जगतमाता वह माता पार्वती है,
महादेव की अर्धांगिनी वह माता शक्ति है।

एक होने को कितने कष्ट सहे,
माता पार्वती ने कितने दुःख सहे।
महादेव तो वैराग्य में लीन,
अपने दुःख छुपा रहे,

इंतजार मां शक्ति का वह बरसों से कर रहे।
इंतजार की वह घड़ी,
अब आके रुक गई।
बरसों का इंतजार,
अब पूरा होने आया है।

माता शक्ति और महादेव का मिलन होने आया है।
खुशी की घड़ी है ये,
वैराग्य छोड़ महादेव ने,
माता पार्वती को स्वीकार किया।

© SAARA