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मुहब्बत में आखिरी बातचीत...
हाँ , सच में तुमसे अपने सारे रिश्ते - नाते तोड़कर हमेशा - हमेशा के लिए मैं दूर जाना चाहती हूँ,
हाँ , मैं बीच सफर में तुझे अकेला छोड़कर किसी और के संग अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हूँ।

मुझे अपनी खुशियों की तनिक भी परवाह नहीं, पर मुझे अपनी माँ - बाप के इज्जत का ख्याल है,
क्या अपनी खुशियों के लिए अपने माँ - बाप को छोड़ सकते हो तुम, तुमसे मेरा बस एक सवाल है।

जिन्होंने हमें जन्म दिया, पाला - पोसा, बडा़ किया आखिर कैसे छोड़ दूं उन्हें सबसे ताने सुनने के लिए,
हम अपनी करनी की सजा देकर माँ - बाप को, उन्हें जीते - जी घुट - घुटकर अकेले मरने के लिए ।

हाँ , इस पूरे जमाने से इश्क़ में मैं अपने लिए बेवफा शब्द हजारों बार सुन सकती हूँ मैं पर बेहया कभी नहीं,
हाँ , जब तुझे लगता ही है तुम्हारे लिए मेरा प्यार सच्चा नहीं , तो ठीक है फिर मेरा प्यार झूठा ही सही।

अपनी खुशियों की भव्य इमारत नहीं खड़ी कर सकती मैं , अपनों की खुशियों में आग लगाकर,
क्या सुकून से तुम कभी रह पाओगे अपनी खुशियों के साथ हमेशा के लिए अपनों से बहुत दूर जाकर।

ठीक है अगर तुझे लगता है मेरा ये निर्णय गलत है, तो फिर क्या है सही अब तुम ही जरा हमें बताओ,
शामिल हो जिसमें सबकी सहमति और खुशियाँ, है कोई ऐसा रास्ता तो हमें भी जरा तुम दिखाओ।

हाँ , सच में तुमसे अपने सारे रिश्ते - नाते तोड़कर हमेशा - हमेशा के लिए मैं दूर जाना चाहती हूँ,
हाँ , मैं बीच सफर में तुझे अकेला छोड़कर किसी और के संग अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हूँ।

— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
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