मुहब्बत में आखिरी बातचीत...
हाँ , सच में तुमसे अपने सारे रिश्ते - नाते तोड़कर हमेशा - हमेशा के लिए मैं दूर जाना चाहती हूँ,
हाँ , मैं बीच सफर में तुझे अकेला छोड़कर किसी और के संग अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हूँ।
मुझे अपनी खुशियों की तनिक भी परवाह नहीं, पर मुझे अपनी माँ - बाप के इज्जत का ख्याल है,
क्या अपनी खुशियों के लिए अपने माँ - बाप को छोड़ सकते हो तुम, तुमसे मेरा बस एक सवाल है।
जिन्होंने हमें जन्म दिया, पाला - पोसा, बडा़ किया आखिर कैसे छोड़ दूं उन्हें सबसे ताने सुनने के लिए,
हम अपनी करनी की सजा देकर माँ - बाप को, उन्हें जीते - जी घुट - घुटकर अकेले ...
हाँ , मैं बीच सफर में तुझे अकेला छोड़कर किसी और के संग अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हूँ।
मुझे अपनी खुशियों की तनिक भी परवाह नहीं, पर मुझे अपनी माँ - बाप के इज्जत का ख्याल है,
क्या अपनी खुशियों के लिए अपने माँ - बाप को छोड़ सकते हो तुम, तुमसे मेरा बस एक सवाल है।
जिन्होंने हमें जन्म दिया, पाला - पोसा, बडा़ किया आखिर कैसे छोड़ दूं उन्हें सबसे ताने सुनने के लिए,
हम अपनी करनी की सजा देकर माँ - बाप को, उन्हें जीते - जी घुट - घुटकर अकेले ...