...

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माज़ी की धूल झाड़ दे
मन के आईने से माज़ी का धूल झाड़ दे,
देती है जो हर वक्त तकलीफ़ बेशुमार तुझे,
उन कड़वी और बुरी अतीत की यादों को
चल अब आज तू अपने जेहन से निकाल दे।

बांहें फैलाये तेरे सामने खड़ी है जो खुशियाँ,
उन्हें अपने गले से लगाकर खुबसुरती - से...