...

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काश..........….......?
काश सब कुछ इत्तेफाक होता
मैं तुम मिले ही ना होते तो कैसा होता।

दिल लग जानें पर
दिल ना लगाने की बात करते हो।
तुम तो जीते जी मेरे मर जाने की बात करते हो।
कहते हो हमसे उतना ही लगाव रखा करो
जितना तुम सह सकते हों।

एक सीमा में मुझसे लगाव रखो
उससे ज्यादा ना तुम मुझको इतना चाहा करो।

कैसे बताऊं तुम्हें मैं कि
चाहतों की कोई सीमा नही होती हैं।

चाहते एक सीमा में रह कर नहीं की जाती हैं।
चाहते तुमसे मेरी अपार असीमित है मेरी

तुमने तो कह दिया थोडा दूर होके चाहना।
अब तुमको मैं कैसे बताऊं की
ये दूरियां मूझसे बर्दास्त नहीं हों पाती हैं।

अंदर ही अंदर रोता हूं। घुटता हूं मैं।
मूझसे ये तुम्हारी बेरूखिया इस तरह से
मुझ पर सितम पर सितम ढाह रही हैं।

ना करो ना सितम मुझ पर तुम इतना
ना करो ना तुम बिचड़ने की बाते मूझसे ।

डरता हूं तो बस अब मैं तुम को
खोने के डर से।
काश ऐसा होता की
काश तुमसे हम मिले ही ना होते।
काश तुमको भुलना इतना सब आसान होता।

एक कोने में तेरे इश्क़ की लौ जलती है
काश उस जलती लौ को
भुजाना इतना सब आसान होता।

बिछड़ना था तो मै तुम मिले ही क्यों थे।
जब हों ना था जुदा, मैं तुम फिर मिले ही क्यों थे।

जाने क्यों किस वजह से हम मिले थे।
वो कौनसी घडी थी जब मैं ओर तुम मिले थे।

एक पल में कैसे भूल जाऊ सब कुछ।
वो तुम्हारी बाते , यादें वो सभी तुम्हारी।

सच कहूं तो नही भूल सकता।
जितना भूलने की कोशिसे करता हूं
उतना ही ज्यादा तुम याद आते हों।

कैसे बताऊं तुम्हे मैं तुम मुझ में
किस तरह बस से गए हों।
किस तरह से मुझमे तुम समा गए हों।

मिले थे अजनबियो कि तरह मगर
तुम अब अपनी अपने से बन गए हो।

तुमसे ऐसा रिश्ता बन गया है।
जो भुल से भी भुलाया नही जा सकता है।

तुमसे ऐसा लगाव हो गया है की
तुमसे अब मौह ही नही छूटता हैं।

कैसे बताऊं कि तुम किस
तरह मन में मेरे बस गए हों।

अब तो हर पल तुम्हारी यादों का साय साथ होता है
तुम्हारी यादों तुम्हारी बातों की गठरी
साथ लेकर अब चला करता हूं।

काश इतना सब आसान सा होता
थम जाती अगर सांसे मेरी
ये सारा किस्सा ही खतम हों जाता।

पल पल याद आते हों
एक पल में मुझसे सौ बार बतियाते हों।

जितना दुर जाना चाहु , तुम्हारी यादों से
उतना तुम मेरे नजदीक आते हो।

तुम्हारा अहसास पाकर
एक पल में सौ बार जी रहा हूं।

कैसे बताऊं तुम्हे में तुम्हारे
ना होने के गम में पल पल
मर मर के जी रहा हूं।

रातों को नींद नही आती हैं।
करवट बदल बदल में रात काट रहा हूं।

तन्हाई के सिवा कुछ भी तो
मेरे पास अब रहा नही हैं।

बची है तुम्हारी ढेर सारी यादें
मेरे पास वो बाते सभी तुम्हारी ।

जब जब भी तुम याद आते हो
आंखो में आंसुओ का सैलाब ले आते हो।

यादें तुम्हारी और गहरी हों जाति हैं।
तुम ना होकर भी मुझ को सताते हो।

तुम्हें सोचकर आंखो में आंसु मेरे भरे हैं ।
दिल में तुमसे मिलने की तड़प जानें कितनी भरी है।

कैसे बताऊं तुम्हे मैं।
किस तरह बताऊं तुम्हें मैं की
तुम कस तरह से मुझे कितना याद आते हो।

रह नहीं पाता हूं, तुम्हारे बगैर ठीक से।

फिलहाल तुम्हे ही सोचकर
ये मेरे टूटे बिखरे जज़्बात लिख रहा हूं।
कुछ खास नहीं बस अपनी अहसास लिख रहा हूं।
सच कहूं तो तुम्हे मैं
याद बहुत करता हूं।

Miss you na
Created by Krishan
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