एक् सफर बेचनि मन के साथ...
आज घर से हॉस्टेल जाने की बकक़्त हो गयी है
मन आज भी बेचानियों से भारी हुयी है
मानों जैसे की हे पेहली बार है
आज भी दिल कह रही है बस
एक और दिन मिल जाएगा तो
मजा आ जाएगा
उदासी मन और बेचानियों सि भारी ,
दिल को ले कर
घर को छोड़ कर
एक अजनबी जगह के और
आज जाने की बकक़्त हो गयी है
मन आज भी बेचानियों से भारी हुयी है
मानों जैसे की हे पेहली बार है
आज भी दिल कह रही है बस
एक और दिन मिल जाएगा तो
मजा आ जाएगा
उदासी मन और बेचानियों सि भारी ,
दिल को ले कर
घर को छोड़ कर
एक अजनबी जगह के और
आज जाने की बकक़्त हो गयी है