...

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इल्ज़ाम
इल्जाम के जूतों से उसे मारा गया है,
औरों का गुस्सा उस पे उतारा गया है.

सबके नजर में था रास्ते पे पड़ी चीज,
पागल कुत्ते जैसे उसे दुत्कारा गया है.

सभी ने अपना, मतलब ही तो देखा,
उसके साथ बस वक्त गुजारा गया है.

अपनो की हो या किसी गैर की बज़्म,
हर एक जगह पर वो, नकारा गया है.

वो बना रहा हर आंख की किरकिरी,
जमाने में कहा उसे स्वीकारा गया है.
मानसी की कलम✍️