...

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दिल की कसक,,,
दिल की कसक को अशआर में बयां कर जाना
आसां नहीं होता यूं जख्मों को अयां कर पाना,,

मुझे तुझ से गिला है ना गर्ज तेरी जात से
मगर तकलीफ देता है, यूं तेरा बिछड़ जाना,,,

मुझे उल्फत है तुझ से ना शिकायत कोई
मगर याद आता है ,मेरे नाम पे तेरा मुस्कुराना,,

मुझे न फिक्र तेरी ना मतलब तेरी मोहब्बत से
मगर क्यों बेचैन करता है यूं तेरा गुजर जाना,,

मुझे चाह तेरी और तेरी आंखों में बेहतर की तलाश,,
वैसे अजाब ही है, ये आंखें पढ़ने का हुनर आना,,

गम है चेहरे पर,ना लब मुस्कुराहट से खाली
मगर भूलता नहीं, वो तेरी आंखों का भर आना,,
© Tahrim