...

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स्नेह की समाप्ति....
मैं स्तब्ध और नि:शब्द हूँ
तुम्हारे इस कृत्य से.....
आभास तो मुझे भी था
की इसके सुखद
परिणाम तो नहीं आने वाले है...!!
लेकिन अनायास ही
यूँ तुम्हारा मुकरना
मेरे हृदय को वेधित कर रहा...