...

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मैं और मेरी ख्वाहिश
यू तो हजारों ख्वाहिशें है मेरी ,
लेकिन
तुमसे मिल कर,
सारी ख्वाहिशें संहृत,
हृदय में समा जाती है ,
और आप का यू कहना ,
कि!
तुम मेरा मान हो ,
मेरे अस्तित्व को एक अलग पहचान दे देती है !
कभी रुकसत होंगे,
जब आप से ,
तो मै की अफ़साना बनना चाहुंगी,
जो अदब काल तक ,
अब्द बनी ,
आजिम सी,
तेरी आदाब बनी ,
मैं ठहरूंगी।

© @खामोश अल्फाज़ ©A.k