...

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समय
समझ मोल समय की ये मन,
ना भटका मुझ तू राह,
ना जाना मुझे कुरेद ने कल की घाव...

भरे न भरे वे,
में आज जो,
सिख जाऊं संभलना,
ओर आज करलूं आज की उपाय...
क्या डराएगा फिर समय मुझे,
किनारे लग ही जायेगी मेरी नाव ।।

आज और अभी जिंदगी है,
यही कह रही सांस आनी जानी,
माया है सब मन का,
जो ही ले चले हमको उस गांव...।।

जो कन्ही नहीं,
कुछ नही अस्थित्य जिसकी,
हमे करनी नहीं एसी कार्य ।।

तु माने ना माने ये मन मेरे,
हरी नाम की प्रताप प्रबल,
ले चला मैं सबरने आज को,
बेड़ा पार लगाएगी राम नाम मेरी,
कल ना मानयूंगी शोक आज की,
तय है अब,
मैने लो बनाली अपनी राय ।।

© RameswariMishra

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