...

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ग़ज़ल
तेरी एक झलक पाने को, ये दिल मचलता है मेरा
तुमसे जुदा होके सनम, जी कितना जलता है मेरा

तेरे ख्वाबों के सहारे पे, मेरी ये रातें कटा करती हैं
और तेरे ख्यालों में खोकर, हर दिन ढ़लता है मेरा

जो जी रहा हूँ अब तलक, वज़ह वे गुज़रे लम्हें हैं
तुझे भुलने की सोचूँ भी, तो दम निकलता है मेरा

ना जाने क्यों भरोसा है? मुझे तेरे लौट आने का
बस इस एक उम्मीद पे, सारा जहाँ चलता है मेरा

रुसवाईयों के बादल हैं, और अश्रुओं की बरखा
'नीर' देखना है कि कब? मौसम बदलता है मेरा।

© @nirmohi_neer