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है तमन्ना मेरी
भर लो मुझ को अंतस्तल में
बिखर जाये हर दर्द तेरे वक्षस्थल में
स्वरसाधित करो शुभऋचाएँ प्रेम की
आच्छादित करो भावनाएँ प्रेम की!
थाम लो मेरे उड़ते बादल से मन को
स्पर्श तेरा ले जाये अस्ताचल से उदयाचल में
राग बना लो मन का ,तन बन जाये बांसुरी तेरी
सुर सजीव कर वीणा के ,संगीत झंकृत हो जीवन में
© ऋत्विशा
बिखर जाये हर दर्द तेरे वक्षस्थल में
स्वरसाधित करो शुभऋचाएँ प्रेम की
आच्छादित करो भावनाएँ प्रेम की!
थाम लो मेरे उड़ते बादल से मन को
स्पर्श तेरा ले जाये अस्ताचल से उदयाचल में
राग बना लो मन का ,तन बन जाये बांसुरी तेरी
सुर सजीव कर वीणा के ,संगीत झंकृत हो जीवन में
© ऋत्विशा
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