...

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खिड़कियां
दिल में एक दरवाज़ा है
खिड़कियां पर अनगिनत हैं
इस दरवाज़े से कौन आया
सब का पता सब की खबर है
इन खिड़कियों से पर
मैंने किस किस को देखा
कुछ कुछ याद है,
कुछ कुछ शायद
मन के पटल पर
अंकित न हुआ
दरवाज़े से आने वाला भी
हर कोई कहां देर तक रुका
कभी कोई कुछ पल को ठहरा
कोई बस मतलब तक ही टिका
कोई शायद दरवाज़े से
अंदर तक का सफ़र तय
करने से डरता रहा
कोई झरोखों से ही
अंदर आने को तरसता रहा
मगर मेरी निगाहें
जाने उस पर ही क्यों ठहरी
जिसे मेरे दिल का एक दरवाज़ा
और अनगिनत खिड़कियां कभी न दिखी...


© Geeta Dhulia