...

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क्षण
एक चौराहे पर लाल बत्ती थी तो मैं रुका हुआ था और अचानक मेरी नज़र उस पर गई बाइक पर थी किसी के साथ, उसकी दोनों आईब्रो के बीच में छोटी सी गोल काली बिंदी जैसे अमावस्या की अगली रात में दो चांदो के बीच में एक तारा टिमटिमा रहा है, उसकी आँखों ने तो जैसे सम्मोहित कर दिया हो, उसने देखा एक बार शायद कुछ कहा था, अगर कहा होगा तो दुबारा जरूर देखेगी ओह नो क्यों देख लिया उसने दुबारा वो भी ऐसे ठहाके के साथ जो थे किसी और के लिए पर जैस्मीन के खिलते फूल जैसे उसके दांत जब उसकी मुस्कान से लेकर उसके होंठो से अपना स्पर्श छोड़ रहे थे तो मुझे पल भर के लिए उसके अपने पास होने का एहसास हो गया फिर क्या हरी बत्ती जल गई और वो चली गई और छोड़ गई एक क्षण जिंदगी भर के लिए.........
© Abhishek mishra