...

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देखों, अब वक़्त बदल गया
कहीं खो गई है दादी नानी की कहानियां,
वो पानी की पनीहारी वो सिला पर पड़ी
निशानियाँ,
बच्चे जल्दी बड़े हो जाते हैं, क्या पता
कैसी होती थी वो बचपन की नादानियां।
देखों, अब वक़्त बदल गया।

घर अब घर नहीं मकान हो गया,
पड़ोसी अपने पड़ोसी से अनजान हो गया,
वो बुढ़ा शजर सब देख रहा है, देखों
मेरे गाँव में शहर सा रुझान हो गया।
देखों, अब वक़्त बदल गया।

माँ बाबा अब मॉम - डेड हो गए,
चारपाई घट कर डबल बेड हो गए,
ओझल...