सब बूढ़े... अरे! नहीं
नहीं याद...
कितने सालों पहले
बेटा शहर गया था
आज पोता लौटा है, पोत-बहू के साथ
गाँव की कच्ची सड़क पर
न जाने कैसे
बड़ी सी गाड़ी को सम्भालता हुआ...
आँगन का बूढ़ा नीम
आज भी हरा है
घर की बूढ़ी खपरैल जगह- जगह से जर्जर हो गयी है
बूढ़े दरवाज़े पर लगा
जंग लगा बूढ़ा...
कितने सालों पहले
बेटा शहर गया था
आज पोता लौटा है, पोत-बहू के साथ
गाँव की कच्ची सड़क पर
न जाने कैसे
बड़ी सी गाड़ी को सम्भालता हुआ...
आँगन का बूढ़ा नीम
आज भी हरा है
घर की बूढ़ी खपरैल जगह- जगह से जर्जर हो गयी है
बूढ़े दरवाज़े पर लगा
जंग लगा बूढ़ा...