पाठ
एक हाथ में तख्ती,
दूसरे में दवात
और कंधे पर बस्ता टाँगे
चलते थे गाँव की पगडंडियों पर
पाठशाला जाने के लिए
जहाँ मास्टर जी
सिखाते थे
'क' से कलम से
'ह' से हल तक
और घर लौटते...
दूसरे में दवात
और कंधे पर बस्ता टाँगे
चलते थे गाँव की पगडंडियों पर
पाठशाला जाने के लिए
जहाँ मास्टर जी
सिखाते थे
'क' से कलम से
'ह' से हल तक
और घर लौटते...