...

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पाठ
एक हाथ में तख्ती,
दूसरे में दवात
और कंधे पर बस्ता टाँगे
चलते थे गाँव की पगडंडियों पर
पाठशाला जाने के लिए
जहाँ मास्टर जी
सिखाते थे
'क' से कलम से
'ह' से हल तक
और घर लौटते हुए
अमरूद तोड़कर खाते हुए
उन्हीं पगडंडियों पर
फिर चल पड़ते थे
मिट्टी से सने पैर
दोहराते हुए
दो एकम दो,
दो दूनी चार...

आज दिखाई नहीं देते
ऐसे बच्चे
सड़कों पर
क्योंकि
अब सड़कें पक्की होतीं हैं
और
मास्टर जी का सिखाया पाठ कच्चा,
बहुत कच्चा...

© Shweta Gupta
#ssg_realization_of_life