...

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नज़्म
तुम किसी फूल की पत्ती सा हो नाज़ुक चेहरा
तुम किसी ओस के क़तरे सा लरज़ता पल हो
तुम कोई दीप हो चंदा की ज़मीं पर जैसे
तुम किसी सूफ़ी की सूरत का हो ठंडा साया
तुम सा कोई नहीं दुनिया के किसी कोने में
तुम मेरे वास्ते हो सिर्फ़, मेरे ही रहना
मैं तुम्हारे ही लिए जन्मा गया हूँ शायद
ऐसा गरचे नहीं होता तो न होते तुम भी
तुमको विश्वास न हो तो मैं दिखाऊँ मर कर
तुम भी मिट जाओगे हमदम मेरे मरने के बाद

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