...

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खुद से खफा हूं मैं आज कल 😔💔
क्यों बेवजह हूं मैं आज कल
क्यों बेपरवाह हूं मैं खुद के लिए आज कल
क्यों खफा हूं मैं खुद से आज कल🥲
क्यों दूसरों के लिए ख़ुद से जुदा हूं मैं आज कल
सोचूं तो मैं सोच भी ना पाऊं
क्यों होता हैं मेरे साथ हमेशा 😥
जब भी थोड़ा अच्छा सोचा 😔
तब ज्यादा बुरा हो गया 💔
लगता हैं मेरा रब भी मुझसे जुदा हो गया 😔

ये ज़िंदगी एक किताब है
हम उस कलम की स्याही हैं
कर्म अच्छे तो अच्छा मिल गया
कही खुशी में भी गम मिल गया
कहीं कुछ भी समझ में ना आया
कहीं फूल कहीं कांटे कहीं खुशबू
कहीं सुखी पत्तियों की तरह बिखर गए
फिर एक रोज़ जल गए 🥲💔
उड़ गए हवाओं से फिर आसमा की ओर

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