...

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लौटना
लौटने का डर सबसे ज्यादा डराती हैं,
हम कही भी जातें और बस जाते,
लेकिन रोक के रखती हैं,
वापस आने का डर,
याद आती हैं,
वो गांव की गलियां,
गांव के पेड़,
गांव का माहौल,
प्रश्नों से भरे लोगो की आंखे,
पापा की मोक्ष,
परिवार की नाक,
सब कुछ बचा के लौट आने पर भी,
हम पूरी तरह से कभी नहीं लौट पाते,
हम ऐसे ही लौटते हैं,
जैसे लड़कियां लौटती हैं अपनी मायके,
सब कुछ वैसा ही रहता हैं देखने में,
लेकिन अंदर ही अंदर ,
बहुत कुछ बदल गया होता हैं।
फिर सोचते हैं इस बदलाव में काश,
बचा लिए होते थोड़ी सी,
अपनी भी जिंदगी।