...

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क्या तुम मुझे गिरा पाओगे??????
उम्मीद रख कर इस जिगर में,
मैं चले जा रही हु अपने ही शहर में।

एक दिन होगा सवेरा मेरे जीवन में,
ये बात सकून देती है मेरे हृदय में।

लड़ रही हु हर एक दिन मैं अपने अपनो से,
मैं बस कामयाब हो जाऊ जीवन में इस आशा से।

लाख कोशिश कर लो क्या तुम मुझे गिरा पाओगे?
मैं चट्टान सी हु इस दुनिया में क्या तुम मुझे तोड़ पाओगे?

रह रही हु मै आशा और उम्मीद में,
क्या तुम उन्हें ख़त्म कर पाओगे?

मरने से जो दिल घबराता नहीं,
क्या तुम उसे मार पाओगे?

सॉस रोककर गोते लगता है जो,
क्या तुम उसकी सॉस रोक पाओगे?

जी रहा है जो यूं ही मुश्किलों में,
तुम उसे कितना ही गिरा पाओगे?

रोना सीखा नहीं जिसने,
क्या तुम उसके आंखों में आंसू ला पाओगे?



© @ishq_adhura