घायल गिद्ध
रूका हुआ हूं मैं,
डरा हुआ हूं मैं,
यहीं टीले पर घायल पड़ा हुआ हूं मैं,
पंख टिका कर, बस गिरने से बचा हुआ हूं मैं,
हारा नही हूं,
क्योंकि अब भी फड़फड़ा रहा हूं मैं ।
उठूंगा एक दिन,
फिर से आसमान में सुराख करूंगा मैं,
परिंदों से फिर से बात करूंगा मैं,
बस अभी थका हुआ हूं मैं,
बस अभी डरा हुआ हूं मैं।
© रवि रॉय
डरा हुआ हूं मैं,
यहीं टीले पर घायल पड़ा हुआ हूं मैं,
पंख टिका कर, बस गिरने से बचा हुआ हूं मैं,
हारा नही हूं,
क्योंकि अब भी फड़फड़ा रहा हूं मैं ।
उठूंगा एक दिन,
फिर से आसमान में सुराख करूंगा मैं,
परिंदों से फिर से बात करूंगा मैं,
बस अभी थका हुआ हूं मैं,
बस अभी डरा हुआ हूं मैं।
© रवि रॉय