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बाल उनकी चेहरे पर जब आकर उनकी चेहरा चमकाती है
बाल उनकी चेहरे पर जब आकर उनकी चेहरा चमकाती है
हवा में उड़ कर ओढ़नी जब उनकी खुब लहराती है
तब रंगीन फिजा
क्या आनंद विभोर कर जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

जैसे कोई मोर मेघा के साथ बलखाती है
जैसे कोई पपीहा भोर सुहानी गाती है
वह दृश्य आंखों में कैमरे सी कैद हो जाती है
प्यार कि वह समय पोलियो ड्रॉप सी लगने लग जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

मधुमास में कोयल जैसी जब तीतर कु कु बोलने लगातीं है
जब उसकी आंखें मेरी आंखें से उज्वल रूप सजाती है
तब वह छन अतुलित रूप रंगाती है
निर्झर उपवन सी यादों में बरसी भिगाती चली जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

पनघट पर जब वह सहेलियों के साथ आतीं हैं
हंस्ती बोलती तब क्या समा सजाती है
मटक मटक कर चलती वह गोचर भूमि जगाती है
वह पुरवाई क्या रास रचचाी है
बाल उनकी चेहरे,,,

घुंघरू पांव कि मीठी ताने मधुर मधुर गूनगूनाती है
हाथों की चूड़ियां खनक खनक कर आवाज उसकी लगाती है
तब साम सुहानी ऐसे लगती जैसे पूरव अंगड़ाई लेती है
यह दृश्य भी क्या दृश्य है जो मन को छूकर रह जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

अटूट अथाह दिल कि प्रेमी, प्रेम वह जगाती है
डाली डाली पत्ते पत्ते जैसे वह छा जाती है
उस गोरी कि अदाएं अलंकार लिखती जाती है
लेकिन वह नजर जल्दी नहीं आती है
बाल उनकी चेहरे,,,

वह चलती हिरानी जैसी चतुर लोमड़ी सी लगती है
उसकी तुलना किससे करूं ऐसी सक्स नजर नहीं आती है
वह केशूओं की धार अतृप्त मन को छू लेने वाली
वह हवाएं गगन चुम्बी मिट्टी कि भाग्य जगाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

यादों में वह चेहरा बलखाती -बलखाती जाती है
प्यारी सी कली रास नयन को बहुत आती है
छूकर रह जाता हूं होट उनकी
वह प्यारी दिल से कितनी प्यारी लगती हैै-2
बाल उनकी चेहरे,,,
© Sandeep Kumar