...

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दो घड़ी तुम पास बैठो....
दो घड़ी तुम पास बैठो
बस ज़रा सा प्यार कर लूं,
साथ तेरे इन नाजुक पलों का
रस ज़रा स्वीकार कर लूं,
है खिलता रूप तेरा
हो रहा जैसे सबेरा,
फूल सी मुस्कान दे दो
जिस पर मैं अधिकार कर लूं,
दो घड़ी तुम पास बैठो
बस थोडा सा प्यार कर लूं....,
इस तरह आना तुम्हारा
रूठ कर जाना तुम्हारा,
भुल यदि है मेरी तो
मैं तेरी मनुहार कर लूं,
जब ठिकाना है न पल का
फिर भरोसा कैसा कल का,
आओ जी भर कर तुम्हारा
आज मैं सत्कार कर लूं,
दो घड़ी तुम पास बैठो
बस, जरा सा प्यार कर लूं....!