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डर के आगे जीत हैं
डर के आगे जीत हैं

औरत जब तक डरती हैं,तब तक अब्ल्ला रहती हैं,
निकाल फेको डर को यही तो दुनियां की रीत हैं,

डर के आगे जीत हैं,जब जब दुनियां ने सताया
औरत ने डर पर विजय पाया हैं,कभी झांसी की

रानी बनी कभी,दुर्गा और काली बनी,फिर शुंभ
निशुंभ को हराया हैं,डर पर विजय पाया हैं,

नारियों थर थर मत कांपों तुम उठो इस अवसर
को भांपो,ये वक्त तुम्हें पुकार रहा इसे दूर ना

भागों तुम,अस्तित्व तुम्हारा मिल जाएगा मिट्टी में,
जो तुम डर के आगे हार गई, पहुंच जाओगी तुम

ऊंचाई पे गर जो तुम डर को मार गई,ज्ञान यही
हैं जीवन का की डर के आगे जीत हैं,