Naya Saal Mubarak ✨
आज फिर 31 दिसंबर आया है
हर साल कि तरह,
परंतु इस साल कि तारीख कि अहमियत कुछ और है,
शायद, मेरी इस बात से तुम भी सहमत होंगे।
चलो दखते है,
ना जाने कितने लोग अपने अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए,
और ना जाने कितने आज भी चंद सांसों के लिए हैं यूंही तड़प रहे है,
ऐसे कुछ दिन दिखाए हमें इस साल कि महामारी ने।
ना जाने कितने लोगों का आत्मविशवास ही टूट गया,
और ना जाने कितने आज भी सब्र का बांध संभाले
खुद को सफल होता देखने कि उम्मीद लगाए बैठे हैं।
ऐसे कुछ दिन दिखाए हमें इस साल कि महामारी ने।
ना जाने कितने किसानों ने अपने पेट कि कुरबानी दी,
और ना जाने कितने आज भी...
हर साल कि तरह,
परंतु इस साल कि तारीख कि अहमियत कुछ और है,
शायद, मेरी इस बात से तुम भी सहमत होंगे।
चलो दखते है,
ना जाने कितने लोग अपने अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए,
और ना जाने कितने आज भी चंद सांसों के लिए हैं यूंही तड़प रहे है,
ऐसे कुछ दिन दिखाए हमें इस साल कि महामारी ने।
ना जाने कितने लोगों का आत्मविशवास ही टूट गया,
और ना जाने कितने आज भी सब्र का बांध संभाले
खुद को सफल होता देखने कि उम्मीद लगाए बैठे हैं।
ऐसे कुछ दिन दिखाए हमें इस साल कि महामारी ने।
ना जाने कितने किसानों ने अपने पेट कि कुरबानी दी,
और ना जाने कितने आज भी...