...

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बेशक मे अजनबी हू
बेशक मैं अजनबी हुं........

बेशक मैं अजनबी हुं तेरे लिये ,
लेकिन तू मेरे लिये अजनबी नही ।
बेशक परायी हू मैं तेरे लिये,
लेकिन मेरे लिये तुम अपनों से कम नहीं ।

जबसे तुझे देखा है,
भूली गई तुम अजनबी हो।
बात इस तरह से करने लगी,
कभी सोचा ही नही की तुम अजनबी हो ।

मैं हर बात तुझे बताने लगी,
दिल मैं छुपे गम तेरे साथ बाटने लगी।
कभी यु रोती हुं तो ,
कभी तेरे साथ हसने लगी।

तेरा राज अब मेरा हुआ है ,
मेरा राज तेरा हुआ है ।
बेशक मैं अजनबी थी ,
लेकीन अब तु मेरा करीबी यार हुआ है ।

पता ही नहीं चला ,
मुझे कब तेरी आदत लग गई।
अजनबी कहते कहते
न जाने कब मै तेरी हो गई।

रचनाकार _साक्षी ढेरे.
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