...

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यादें आती है जब भी उसकी
यादें आती है जब भी उसकी
आंखों से मोती गिरता है
भाई, क्या कहुं
उसके लिए दिल बहुत रोता है
यादें आती है,,,,,,,,

मन विचलित हो उठता है
स्वास थम जाती है
ऐसा लगता कमर टुंट गई
और कदम न उठता है
यादें आती है,,,,,,,,

यदा कदा कहीं भी नहीं
मन जरा सा लगता है
विरह कि आग में तपती धरती सा
तन उसके लिए जलता है
यादें आती है,,,,,,,,

व्यथित मन कुछ कहना चाहे
पर कह पाता है
बस उसकी याद में तड़प तड़प कर रह जाता है
यादें आती है,,,,,,,,

मोम सा यह अपना मन
पिघल यो जाता है
श्रद्धा सुमन अर्पित कर
उसकी आत्मा को शान्ती देता है
यादें आती है,,,,,,,,

तुम नहीं तो मेरा
धरा पर रहना जुदा सा लगता है
है नश्वर शरीर
लेकिन कांटों सा चुभता है
यादें आती है,,,,,,,,

मन व्यथित होकर
तेरे पास जाना चाहता है
तुम जहां हो
मनोज मोदक वहीं रहना चाहता है
यादें आती है,,,,,,,,
© Sandeep Kumar