ना जाना तुम्हें
ना जाना तुम्हें इतना,
फिर क्यू मन तुम्हें सोचने लगा, मन मेरा बहक ने लगा
ऐसे थी न मैं, अपने दुनिया में मन-मौजी रहती थी
न में अब रही मौजी, मन मेरा मचल ने लगा..
इंतज़ार करु में तुम्हें देखने की, बात करने कि, पता नहीं चलता कब...
फिर क्यू मन तुम्हें सोचने लगा, मन मेरा बहक ने लगा
ऐसे थी न मैं, अपने दुनिया में मन-मौजी रहती थी
न में अब रही मौजी, मन मेरा मचल ने लगा..
इंतज़ार करु में तुम्हें देखने की, बात करने कि, पता नहीं चलता कब...