Goonj☀️
शृस्टी के शुरुआत से
अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है जो इतनी स्थिर है
कि मानो शून्य हो
और इस शून्य की शक्ति का एहसास
हर ऐक सांस दिलाती है
इस गूँज में जो शोर है
वो सुनाई नहीं पडता
पर सूर्य का प्रकाश बनकर
दिखाई जरूर देता है
विचित्त्र सा कुछ तो है ,
कुछ तो है विचित्र सा जो ये
समझने नहीं देता कि हम समझदार है
हम समझ सकते हैं कि हमें बनाया गया है
और कोई है जो इस निर्माण को
निरंतर चला रहा है और रहेगा
शृस्टी के शुरुआत से अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है
जो ये प्रत्यक्ष है कि हम मृत्युहीन नहीं है
और जो मृत्युहीन है वो शृस्टी के शुरुआत से
अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है
राहुल सेंगर
© All Rights Reserved
अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है जो इतनी स्थिर है
कि मानो शून्य हो
और इस शून्य की शक्ति का एहसास
हर ऐक सांस दिलाती है
इस गूँज में जो शोर है
वो सुनाई नहीं पडता
पर सूर्य का प्रकाश बनकर
दिखाई जरूर देता है
विचित्त्र सा कुछ तो है ,
कुछ तो है विचित्र सा जो ये
समझने नहीं देता कि हम समझदार है
हम समझ सकते हैं कि हमें बनाया गया है
और कोई है जो इस निर्माण को
निरंतर चला रहा है और रहेगा
शृस्टी के शुरुआत से अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है
जो ये प्रत्यक्ष है कि हम मृत्युहीन नहीं है
और जो मृत्युहीन है वो शृस्टी के शुरुआत से
अंतहीन के अंत तक
इक गूँज है
राहुल सेंगर
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