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दर्द की इंतहा...
है दर्द इतना गहरा लेकिन रोना नहीं चाहते
नींद है आंखों में मगर सोना नहीं चाहते
कोई ख़्वाहिश ही ना रही अब इस दिल में
जुस्तजू अब किसी की करना नहीं चाहते
बहुत मिन्नतें की हमनें तेरे दरबार में हरदम
शिकायतें अब किसी से करना नहीं चाहते
अपनी मर्जी से तो नहीं आये थे हम दुनियां में
इंतहा हो गयी दर्द की और अब जीना नहीं चाहते !!
नींद है आंखों में मगर सोना नहीं चाहते
कोई ख़्वाहिश ही ना रही अब इस दिल में
जुस्तजू अब किसी की करना नहीं चाहते
बहुत मिन्नतें की हमनें तेरे दरबार में हरदम
शिकायतें अब किसी से करना नहीं चाहते
अपनी मर्जी से तो नहीं आये थे हम दुनियां में
इंतहा हो गयी दर्द की और अब जीना नहीं चाहते !!
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