Meri Zindagi ki kahaani Meri zubaani
अंजान चेहरे है,अंजान ये दुनिया है;
बेबस हूं मै और खुदगर्ज ये जमाना है;
करोड़ों की भीड़ में अपनों को ढूंढता;
कुछ तो मिलते ही नहीं और कुछ मिलकर भी नज़रे फेर लेता;
गैरों से क्या नाराज़गी, जब अपनों ने ही साथ छोड़ दिया;
आज तो ऐसी घड़ी आयी है कि खुद की परछाई ने...
बेबस हूं मै और खुदगर्ज ये जमाना है;
करोड़ों की भीड़ में अपनों को ढूंढता;
कुछ तो मिलते ही नहीं और कुछ मिलकर भी नज़रे फेर लेता;
गैरों से क्या नाराज़गी, जब अपनों ने ही साथ छोड़ दिया;
आज तो ऐसी घड़ी आयी है कि खुद की परछाई ने...