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इश्क़ का रंग
ये इश्क़ का रंग लाल क्यों
जिसे लग जाए मिले मलाल क्यों
दिल रखे इसे सब से परे
फिर उठता उसपे सवाल क्यों
नहीं रहता खुद का खयाल क्यों
हो जाए इतने बेहाल क्यों
आंखों में बसे एक दुनिया नई
फ़िर जग सारा लगे ज़माल क्यों
मिले डगर नई ख़ुशहाल क्यों
पतझड़ भी लगे ग़ुलाल क्यों
मंजिल नहीं बस काटों का सफ़र
'प्रित' ये चाहत होती बा-कमाल क्यों
© speechless words
जिसे लग जाए मिले मलाल क्यों
दिल रखे इसे सब से परे
फिर उठता उसपे सवाल क्यों
नहीं रहता खुद का खयाल क्यों
हो जाए इतने बेहाल क्यों
आंखों में बसे एक दुनिया नई
फ़िर जग सारा लगे ज़माल क्यों
मिले डगर नई ख़ुशहाल क्यों
पतझड़ भी लगे ग़ुलाल क्यों
मंजिल नहीं बस काटों का सफ़र
'प्रित' ये चाहत होती बा-कमाल क्यों
© speechless words
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