...

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यादें
जिंदगी ने मेरे साथ कुछ खेल एसा खेला...
कोई साथ नहीं है रह गया हूँ अकेला...

छूट गया वो जो पकडा था मेने हाथ.....
नहीं रेहता कोई हमेशा के लिए साथ...

साथ देने का तो वो तोड़ देते हैं वादा....
जीते जी मार देने का होता है शायद इरादा.....

इरादा पूरा करने में हो गए वो कामयाब....
जुदाई के बाद भी आते हैं उन्हीं के ख्वाब....

ख्वाबों में वो इश्क जताते हैं...
नींद टूटते ही बहोत याद आते हैं.....

यादों में उनकी फिर से रो देता हुँ...
ख्यालों में उनके खुद को खो देता हूँ..