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आओ कुछ अपने बारे में मै तुम्हे बताता हूं।
आओ कुछ अपने बारे में मै बताता हूं।
गजल ना सही कुछ गीत सुनाता हूं।
शायरी ना सही अल्फ़ाज़ बनाता हूं।
रूठे हुए इंसान को मै खूब मनाता हूं।
किसी प्यासे की मै प्यास बुझाता हूं।
कुछ अपने बारे में मै तुम्हे बताता हूं।
अपने ही दम पर अपना घर चलाता हूं।
बिना किसी सहारे के मै आगे जाता हूं।
दूसरे के दर्द को मै अपनाता हूं।
हस्ते हस्ते अक्सर मै चुप हो जाता हूं।
© navneet chaubey
गजल ना सही कुछ गीत सुनाता हूं।
शायरी ना सही अल्फ़ाज़ बनाता हूं।
रूठे हुए इंसान को मै खूब मनाता हूं।
किसी प्यासे की मै प्यास बुझाता हूं।
कुछ अपने बारे में मै तुम्हे बताता हूं।
अपने ही दम पर अपना घर चलाता हूं।
बिना किसी सहारे के मै आगे जाता हूं।
दूसरे के दर्द को मै अपनाता हूं।
हस्ते हस्ते अक्सर मै चुप हो जाता हूं।
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