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हर कृत्य साफ दिखता है, स्पष्ट दिखता है ।
हर व्यक्ति यही सोचता है कि चतुरता, धोखाधड़ी, ईर्ष्या और कलाकारी लोगों को दिखती नहीं है, लोग कलाकारी करते हैं यह सोचकर कि पता नहीं चलेगा, यह मूढ़ता की निशानी है, हर कुकर्म स्पष्ट हो जाता है, हर छिपाया गया अनैतिक कृत्य लोगों के सामने आ जाता है, और कुकर्म करते-करते व्यक्ति का चेहरा ही प्रमाण हो जाता है, हर बात उसके चेहरे पर दिखने लगती, विज्ञान कहता है जिस चीज में व्यक्ति माहिर होता है - वही चीज उसके चहरे पर आ जाती है , जो भीतर घट जाता है वह बाहर आ जाता है ।।