...

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दिल में स्याही
बारीश भिगा करती है जब वो बरसात मे आया करती है...
मासुम भाव से मुस्काकर, साथ में सावन लाया करती है...

कानो से हटाकर बालों को जब वो कांधे पर लाती है...
हिमालय से उद्गम पाकर गंगा, जैसे...