ख़ामोशी का मंच...!!!
#खालीअक्स
मंच के साये में थम गई रौशनी,
परछाइयों में सिमट गई हर बात।
तालियों का शोर अब थम चुका,
बिखरी हुई कुर्सियाँ, और ख़ाली रात।।१।।
साँसें थकीं, पर सोचें चल पड़ीं,
मंच की लकड़ी भी जैसे कुछ कहे।
कल तक जो चेहरे थे रोशन यहां,
अब बस ख़ामोशी के किस्से बहे।।२।।
...
मंच के साये में थम गई रौशनी,
परछाइयों में सिमट गई हर बात।
तालियों का शोर अब थम चुका,
बिखरी हुई कुर्सियाँ, और ख़ाली रात।।१।।
साँसें थकीं, पर सोचें चल पड़ीं,
मंच की लकड़ी भी जैसे कुछ कहे।
कल तक जो चेहरे थे रोशन यहां,
अब बस ख़ामोशी के किस्से बहे।।२।।
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