...

10 views

कुछ गिला, शिकवा और कुछ शिकायतें
एक कमरे में रहकर के, कुछ बताते क्यों नहीं
मुझे छूकर, नजरों से, दीवार गिराते क्यों नहीं

ले चलो वहां जहां मचलती सब ख्वाहिशें मेरी
बड़े बेशर्म ख्याल हैं हकीकत बनाते क्यों नहीं

कबसे तड़प रही हैं, ये आंखें, तेरे ख्वाबों को
उंगलियां जुल्फ में फंसाकर सुलाते क्यों नहीं

बंजर जमीन है जोकर, है इंतजार बारिश का
छूकर मेरे अधरों को, प्यास मिटाते क्यों नहीं

मैं हूं शम्मा, परवाने को जलाना फितरत मेरी
बुझाके सब बत्तियां खुदको जलाते क्यों नहीं

फुर्सत जेब में रखकर, मिलने आते क्यों नहीं
मोहब्बत करते हो तो, फिर जताते क्यों नहीं

🤡
© Dr. Joker